वैसे कृषक और श्रम विधेयकों का विरोध करने वाले सभी दल अगर एकजुट होकर वोटिंग करते तो शायद यह बिल पास ही नहीं हो सकते थे. कम से कम राज्यसभा में तो इन विधेयकों को पास होने से रोका जा सकता था. कहीं ऐसा तो नहीं कि इनका विधेयकों को लेकर विरोध भी एक दिखावा ही है.विपक्ष के बहिष्कार ने तो सरकार को और आराम से विधेयकों को पारित करवाने का मौक़ा दे दिया
प्रधानमंत्री किसान योजना का धन सीधे किसानों के खातों में पहुंचता है लेकिन हमारी ‘ममता’मयी दीदी का कहना है कि वह योजना को बंगाल में तभी लागू करेंगी जब यह धन राज्य सरकार के माध्यम से दिया जाये.अरे दीदी! अगर किसानों का कल्याण हो रहा है तो आपको अम्मां बनने की का ज़रूरत. ममता पहुँचने दें. फिर आपके माध्यम से हो या फिर सीधे केंद्र के माध्यम से. किसानों को मदद मिलना ज़रूरी है. वैसे भी जल्दी कुछ मिलता नहीं और जब मिलने वाला है तो आप अडंगा लगा रही हैं.